उत्तराखंड में झूला(छड़ीला) तेजपात व मौस घास इत्यादि पर लगाई गई 40% रॉयल्टी वापस लिए जाने आदि मांगों को लेकर देवभूमि व्यापार मंडल ने रामनगर उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री व वन मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया।
ज्ञापन में कहा गया है कि उत्तराखंड प्रमुख वन संरक्षक द्वारा विगत 29 फरवरी 2024 को विभागीय स्तर पर, बगैर शासन की संस्तुति के झूला (छड़ीला) मौस घास व तेजपत्ता आदि वस्तुओं पर रॉयल्टी की दरें अचानक बढ़ाकर उसके विक्रय मूल्य पर 40% लगा दी गई है। जिस कारण झूला (छड़ीला) तेजपात व मौस घास आदि के संग्रहकर्ता, उत्पादक, किसान, व्यापारी व मजदूर आबादी के सामने रोजगार का भारी संकट पैदा हो गया है तथा उनके उत्पाद का उन्हें बेहद कम मूल्य प्राप्त हो रहा है व 4-5 रुपए प्रति किग्रा के मुकाबले 70-80 रुपये प्रति किग्रा की दर से रायलटी चुकाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। जिस कारण लोग पहाड़ से पलायन करने को मजबूर हैं।
देव भूमि व्यापार मंडल के अध्यक्ष मनिंदर सिंह ने प्रेस को बताया कि कि हमारे देश में मोरक्को, चीन, नाइजीरिया, नेपाल व यूरोप के मुल्कों से भी झूला छड़ीला, तेजपात आदि भारी मात्रा में आयात किया जा रहा है जो की बाजारों में ₹200 प्रति किग्रा की दर पर उपलब्ध है ऐसे में उत्तराखंड का झूला( छड़ीला) तेजपात व मौस घास आदि 40% रायलटी लगाए जाने के चलते महंगे हो गए हैं व बाजारों में विदेशी माल के आगे नहीं टिक पा रहे हैं। ऐसे में प्रमुख वन संरक्षक के 20 गुना रायलटी बढ़ाने के इस गैर कानूनी आदेश से उत्तराखंड में बेरोजगारी व पलायन बढ़ेगा।
व्यापार मंडल के संरक्षक मनमोहन अग्रवाल ने प्रमुख वन संरक्षक द्वारा विगत 29 फरवरी को जारी आदेश संख्या 343/8-3(1) के द्वारा निर्धारित 40% रॉयल्टी की दरों को तत्काल निरस्त करने की मांग की है ।
प्रतिनिधिमंडल में हरमिंदर सिंह संटी, देवेन्द्र सेठी, मुनीष कुमार, मौ ताहिर, आदि शामिल थे।


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