प्राचीन शिव मंदिर की जानकारी से भी पर्यटक वंचित, बेशक अपनी जैव विविधता के लिए कार्बेट पूरी दुनियां में अपनी पहचान बना चुका है। मगर कार्बेट से सटा ढिकुली अपनी पुरानी पहचान पर्यटन के मानचित्र में आज तक नही दिला पाया। आज का ढिकुली कभी पांडव काल का विराट नगर था। भले ही विराट नगर को पर्यटन के नक्शे में स्थान नही मिल पाया हो मगर यहाँ मौजूद पांडव कालीन शिव मंदिर को न तो पर्यटन के रूप में ओर न ही धार्मिक स्थल के रूप में पहचान मिल सकी। या यूं कहें कि पांडव कालीन शिव मंदिर आज भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
■क्या है विराट नगर का इतिहास■
किवदंती है कि आज का ढिकुली गाँव यही वह विराट नगरी है जहाँ कुरु वंश के राजा राज्य किया करते थे। यह कुरु राजा प्राचीन इन्द्रप्रथ(आधुनिक दिल्ली) के साम्राज्य की छत्रछाया में राज्य किया करते थे। यही पर पांडवों ने कौरवों से छिपते हुए एक साल का अज्ञातवास बिताया था
■पांडव कालीन शिव मंदिर■
ढिकुली के पश्चिम की ओर पहाड़ियों में पांडवों द्वारा बनाया गया शिव मंदिर आज भी विराजमान है। जिसे लोग गरल कंठेश्वर महादेव के नाम से पुकारते है।इस शिव मंदिर में स्थापित शिव लिंग की स्थापना पांडव पुत्र भीम ने की थी।
■कई बार मिली मिली पांडव कालीन कलाकृतियां■
ढिकुली निवासी संजय छिमवाल बताते है कि मन्दिर का आसपास खुदाई के दौरान ग्रामीणों को पांडव कालीन कई आकर्षक कलाकृतियां मिली। जिन्हें कुछ लोगो ने सहेजकर अपने घरों में रखा गया है।
■पुरातत्व विभाग के आधीन है मन्दिर■
गरल कंठेश्वर महादेव मंदिर बेशक पुरातत्व विभाग के आधीन है। लेकिन पूर्व प्रधान राकेश नैनवाल कहते है कि पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते मन्दिर आज भी उपेक्षित है। पुरात्तव विभाग न तो खुद इसपर काम करता है और न ही ग्रामीणों को मन्दिर के लिये कुछ काम करने की अनुमति ही देता है। यदि इसका ब्यापक प्रचार प्रसार किया जाए तो यह पर्यटन के मानचित्र में अपनी पहचान बना सकता है।
■कॉर्बेट पार्क आने वाले पर्यटक भी अनभिज्ञ■
ढिकुली गांव कभी पांडव कालीन विराट नगर था। यहाँ गरल कंठेश्वर महादेव का पांडव कालीन मन्दिर भी है इसकी जानकारी किसी पर्यटक को देने वाला कोई नही है।
■विराटनगरी में दर्जनों रिसॉर्ट■
प्राचीन विराट नगर यानी आज के ढिकुली गाँव मे आज साठ से भी अधिक आलीशान रिसोर्ट बन चुके है। अफसोस जनक यह पहलू है कि कार्बेट के नाम पर वह जंगलो में भ्रमण तो करते गए लेकिन जिस जमी पर वह अपना ब्यवसाय कर रहे है उसके ऐतिहासिक महत्व को वह जानते तक नही। अगर रिजॉर्ट ओर पर्यटन विभाग मिलकर ढिकुली के ऐतिहासिक महत्व की जानकारी पर्यटकों को दे तो कम से कम एक धरोहर के रूप में पांडव काल का यह प्राचीन मंदिर अपनी ख्याति कब नए आयाम तो स्थापित कर सकता है।


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