तिरपाल के सहारे गर्जिया मंदिर टीले की सुरक्षा


रामनगर के ग्राम सुंदरखाल स्थित मां गर्जिया मंदिर का बूढ़ा हो चला टीला अब बाढ़ की विभीषिका का दंश शायद ही झेल पाएगा। जगह - जगह टीले में पड़ गयी दरारों को देखकर तो अब यही दिखाई देने लगा है। मगर अफसोस अभी तक इसकी सुरक्षा को कोई पुख्ता इंतजाम नही हो पाए।
लाखों लोगो की आस्था का धाम गिरिजा मंदिर का बूढ़ा हो चला टीला अब बाढ़ की विभीषिका का दंश शायद ही झेल पाएगा। जगह - जगह टीले में पड़ गयी दरारों को देखकर तो अब यही दिखाई देने लगा है। 1924 में 1 लाख 25 हजार क्यूसेक, 1993 में 1 लाख 56 हजार क्यूसेक ओर 2010 में 1 लाख 64 हजार क्यूसेक पानी अपने साथ हजारों टन मलवा पत्थर लेकर आया। मगर नदी में बाढ़ का पानी मंदिर का बाल भी बांका नही कर पाया। उफनाई कोसी नदी से मंदिर की सुरक्षा यही टीला करता रहा। मगर अफसोस अभी तक इसकी सुरक्षा को कोई पुख्ता इंतजाम नही हो पाए। पिछले डेढ़ साल से टीले को बचाने की कबायत चल रही है।
सिंचाई विभाग ने मंदिर के टीले को तिरपाल से ढका है ताकि बारिश के पानी से टीले की दरारें और थोड़ी ना हो । बरसात बाद टीले  को बचाने के लिए निर्माण कार्य किए जाएंगे।
                        फरवरी 2021 में मां गिरिजा मंदिर के टीले में दरारें दिखाई दी थी। काफी चौड़ी दरारे दिखने पर प्रशासन ने मंदिर के टीले को बचाने की कवायद शुरू की थी यह कवायत अभी तक जारी है लेकिन प्रशासन की तरफ से अभी तक कार्य शुरू नहीं किया गया है मंदिर के टीलेे  में पड़ी दरारें चौड़ी होती जा रही है लगभग 15 दिन पहले सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता संजय शुक्ला ने गिरिजा मंदिर के टीले का निरीक्षण किया था। उन्हें  मंदिर के टीले में पड़ी दरारें बड़ी हुई दिखी थी। मुख्य अभियंता ने दरारों में बारिश का पानी नहीं घुसने पाए इसके लिए टीले में तिरपाल लगाने के आदेश दिए थे। सिंचाई विभाग ने पीले को तिरपाल से ढक दिया है। सिंचाई विभाग के सहायक अभियंता मयंक मित्तल ने बताया की वर्तमान में कोसी नदी से गिरिजा देवी मंदिर के टीले की ओर कटाव नहीं हो रहा है। टीले के ऊपरी हिस्से को बचाने के लिए आरसीसी दीवार तैयार की जानी है।



आईआईटी रुड़की की टीम ने किया था सर्वे

मार्च 2021 में आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियर विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर सतेंद्र मित्तल के निर्देशन में इंजीनियर दिनेश कुमार, निहारिका ने गिरिजा देवी  मंदिर रामनगर  का सर्वे किया था। टीम ने मंदिर की सुरक्षा के लिए प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था यह प्रस्ताव अभी तक मंजूर नहीं हो पाया है अब दोबारा प्रस्ताव  तैयार किया जाएगा।
गिरिजा मंदिर पर पुस्तक लिख चुके डिग्री कालेज के प्रवक्ता गिरीश चन्द्र पंत कहते है कि मंदिर का इतिहास 150 साल पुराना होगा। कहते है किसी समय यह मंदिर मय टीले के नदी में बहकर आया था। तब डोईया मसाण  (प्रेत राज) ने माता से यहां रुकने का आग्रह किया था और यह मंदिर अपने स्थान पर जम गया। तब से मां भगवती इस टीले पर ही विराजमान होकर अपने भक्तों का कल्याण कर रही है। डॉ पंत कहते है कि 1930 में सड़क किनारे  रामकृष्ण पाड़े की चाय की दुकान एक झोपड़ी में हुआ करती थी। पास ही घनघोर जंगल के बीच काफी पुराना देवी माँ का टीले सहित कोसी के बीचो बीच एक मंदिर मय टीले सहित था जिसके बारे में गर्जिया गाव के कुछ लोगो को ओर वन विभाग को ही जानकारी थी। तब वह विभाग के कुछ अधिकारियों ने रामकृष्ण से अनुरोध किया कि वह मन्दिर की देखरेख कर ले। उस समय  राम कृष्ण पांडे ने मंदिर की देखरेख करने से इन्कार कर दिया। तभी उनकी झोपड़ी में आग लग गयी। इसके बाद रामकृष्ण पांडे ने इस मन्दिर की देखरेख शुरू कर दी। उसके बाद मन्दिर का प्रबंध उनके पुत्र पूर्ण चन्द्र पांडे ने संभाला। जीवन पर्यन्त पूर्णचन्द्र पांडे मन्दिर की सुरक्षा के लिए मंत्री से लेकर अधिकारियों के पास दौड़ते रहे। मगर मंदिर के टीले की सुरक्षा के प्रति न तो शासन जागरूक रहा न ही सरकारेंं।

धार्मिक पर्यटन के रूप विख्यात है मन्दिर

गिरिजा मन्दिर अब धार्मिक पर्यटन के रूप में भी अपनी पहचान बना चुका है। कार्बेट पार्क आने वाला हर सैलानी चाहे वह देशी हो या विदेशी यहां नतमस्तक हुए बिना नही रहता।

फाइलों में उलझ कर रह गयी सुरक्षा

मंदिर के पुजारी मनोजचंद पांडे बताते है कि सन 2012 में मंदिर की सुरक्षा एवं सुंदरीकरण की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा की गई थी। जिस पर सिचाई विभाग ने नाबार्ड मद से 675.37 लाख का इस्टीमेट बनाकर भेजा था। मगर उस समय इसके सुंदरीकरण आदि कार्यो के कारण इसे पर्यटन विभाग को हस्तातंरित किए जाने का पत्र सिंचाई विभाग द्वारा दिए जाने से यह मामला फिर फाइलो में उलझ गया।

स्थानीय लोग एवं श्रद्धालु चिंतित

श्री गिरिजा देवी मन्दिर के टीले मे आयी दरारों से स्थानीय लोग एवं श्रद्धालु चिंतित हो गये हैं वह चाहते है प्रशासन टीले की सुरक्षा का कार्य जल्द से जल्द पूरा कर लें।

0/Post a Comment/Comments

Domain